Thursday 11 August 2011

"नया भारत" - फहमीदा रियाज़ की कविता


(पाकिस्तानी कवियत्री फहमीदा रियाज़ की कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ, -“नया भारत”,  इस कविता पर हमारे देशभक्त के ठेकेदार संगठनो यथा, अभाविप,रा. स्व.संघ. इत्यादि को आपत्ति है| आप लोग भी बताइये इसमें आपत्तिजनक क्या है?)
-तुम बिलकुल हम जैसे निकले
अब तक कहाँ छुपे थे भाई
वो मूरखता, वो घामड़पन
जिसमे हमने सदी गँवाई
आखिर पहुंची द्वार तुम्हारे
अरे बधाई , बहुत बधाई|
प्रेत धर्म का नाच रहा है
कायम हिंदू राज करोगे?
सरे उलटे काज करोगे!
अपना चमन तराज़ करोगे!
तुम भी बैठे करोगे सोचा
पूरी है वैसी तैयारी
कौन है हिंदू कौन नहीं है
तुम भी करोगे फतवे जारी|
होगा कठिन वहाँ भी जीना
दांतों आ जाएगा पसीना
जैसी तैसी कटा करेगी
वहाँ भी सबकी सांस घुटेगी|
माथे पर सिन्दूर कि रेखा
कुछ भी नहीं पड़ोस से सीखा!
क्या हमने दुर्दशा बनाई
कुछ भी तुमको नज़र न आई?
कल दुःख से सोचा करती थी
सोच के बहुत हंसी आज आई
तुम बिलकुल हम जैसे निकले
हम दो कौम नहीं थे भाई|
मशक करो तुम आ जाएगा
उलटे पाँव चलते जाना
ध्यान न मन में दूजा आए
बस पीछे ही नज़र जमाना|
भाड़ में जाए शिक्ष्या –विक्ष्या
अब जाहिलपन के गुण गाना
आगे गड्ढा है मत देखो
लाओ वापस गया ज़माना|
एक जाप सा करते जाओ
बारम्बार यही दोहराओ
“कैसा वीर महान  था भारत”
“कैसा आलीशान था भारत”!
फिर तुम लोग पहुँच जाओगे
बस परलोक पहुँच जाओगे|
हम तो पहले ही हैं वहाँ  पर
तुम भी समय निकालते रहना
अब जिस नरक में जाओ वहाँ  से
चिट्ठी –विट्ठी डालते रहना |

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